हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) — इस्लाम के पहले ख़लीफ़ा | Hazrat Abu Bakr Siddiq (R.A.) - First Caliph of Islam

परिचय

हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) इस्लाम के पहले ख़लीफ़ा, पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.व.) के सबसे करीबी साथियों में से एक, और सबसे पहले इस्लाम कुबूल करने वालों में से थे। उनका असली नाम अब्दुल्लाह इब्न अबू क़ुहाफ़ा था, लेकिन उन्हें 'सिद्दीक़' यानी 'सत्य को स्वीकार करने वाला' की उपाधि दी गई।


प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 573 ईस्वी में मक्का में हुआ।

  • क़बीला: कुरैश

  • व्यवसाय: व्यापारी

  • स्वभाव: विनम्र, ईमानदार, और न्यायप्रिय


इस्लाम की ओर झुकाव

हज़रत अबू बक्र (रज़ि.) ने पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.व.) के दावते-इस्लाम को तुरंत स्वीकार कर लिया।

  • वे पहले पुरुष थे जिन्होंने इस्लाम कबूल किया।

  • उनके माध्यम से कई महान सहाबा इस्लाम में दाखिल हुए जैसे कि हज़रत उस्मान, अब्दुर्रहमान बिन औफ़ और तल्हा (रज़ि.)।


हिजरत और साथ निभाना

जब पैग़म्बर (स.अ.व.) मक्का से मदीना हिजरत कर रहे थे, हज़रत अबू बक्र (रज़ि.) उनके साथ थे।

  • ग़ार-ए-सौर में तीन दिन तक छिपे रहना — एक ऐतिहासिक घटना है जहां अबू बक्र ने पूरे इख़लास और बहादुरी से साथ निभाया।

  • कुरआन में (सूरह तौबा, आयत 40) उनका ज़िक्र आया है:

    "जब वह अपने साथी से कह रहा था: ‘ग़म न कर, अल्लाह हमारे साथ है।"


ख़िलाफ़त

पैग़म्बर (स.अ.व.) की वफ़ात के बाद सहाबा की आम राय से हज़रत अबू बक्र को इस्लाम का पहला ख़लीफ़ा चुना गया।
उनके शासनकाल की विशेषताएँ:

  • झूठे नबी और बग़ावतों से निपटना

  • ज़कात ना देने वालों के खिलाफ कार्यवाही

  • क़ुरआन को एक किताब में संकलित करवाना

  • इस्लामी फ़ौजों को सीरिया, इराक़ की तरफ रवाना करना


व्यक्तित्व

  • बहुत नम्र और डर रखने वाले इंसान थे।

  • हमेशा कहते:

    "मैं सबसे बेहतर नहीं हूं, लेकिन मुझे ज़िम्मेदारी दी गई है, अगर मैं सही करूं तो मेरा साथ दो, और अगर मैं ग़लत हो जाऊं तो मुझे सुधारो।"


वफ़ात

  • हज़रत अबू बक्र (रज़ि.) की वफ़ात 634 ईस्वी में हुई।

  • उन्हें पैग़म्बर (स.अ.व.) के पहलू में मस्जिद-ए-नबवी में दफ़न किया गया।


निष्कर्ष

हज़रत अबू बक्र (रज़ि.) इस्लामी इतिहास का वो चमकता सितारा हैं जिन्होंने इस्लाम को न सिर्फ़ अपनाया बल्कि हर कठिन घड़ी में उसके लिए खड़े रहे। उनका जीवन ईमान, त्याग और नेतृत्व का बेहतरीन उदाहरण है।


"सच्चे दोस्त वही होते हैं जो सच्चाई पर खड़े रहें, चाहे हालात जैसे भी हों — और अबू बक्र (रज़ि.) इसकी मिसाल थे।"


#AbuBakr #Khilafat #IslamicHistory #HazratAbuBakr

Post a Comment

0 Comments