चंद्रगुप्त मौर्य – भारत के प्रथम महान सम्राट

भारत के इतिहास में जब भी महान शासकों की बात होती है, तो चंद्रगुप्त मौर्य का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे न केवल मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे, बल्कि उन्होंने एक संगठित और शक्तिशाली शासन की नींव रखी। उनके नेतृत्व में भारत एक मजबूत और एकीकृत साम्राज्य बना। आइए जानते हैं उनके जीवन, विजय अभियान और उनके शासन की विशेषताएँ।



प्रारंभिक जीवन

चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 340 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि वे एक साधारण परिवार में जन्मे थे। वे बहुत ही साहसी और बुद्धिमान थे।

उनकी मुलाकात महान आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) से हुई, जिन्होंने उन्हें राजनीति और सैन्य रणनीतियों की शिक्षा दी। चाणक्य की दूरदृष्टि और चंद्रगुप्त की वीरता ने भारत के पहले विशाल साम्राज्य की स्थापना की नींव रखी।



मौर्य साम्राज्य की स्थापना

उस समय भारत पर नंद वंश का शासन था, जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) थी। नंद वंश का राजा धनानंद बहुत क्रूर और भ्रष्ट था। चाणक्य और चंद्रगुप्त ने मिलकर इस साम्राज्य को समाप्त करने का संकल्प लिया।




चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की रणनीतियों के आधार पर एक शक्तिशाली सेना तैयार की और धनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।


सिकंदर के उत्तराधिकारियों को हराना

326 ईसा पूर्व में सिकंदर महान भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में आया था, लेकिन उसकी मृत्यु के बाद उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया।

चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी शक्ति बढ़ाई और 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। इस युद्ध के बाद, सेल्यूकस ने अपनी बेटी की शादी चंद्रगुप्त से कर दी और संधि के रूप में उन्हें अफगानिस्तान और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्र सौंप दिए।



शासन और प्रशासन

चंद्रगुप्त मौर्य का शासन बहुत ही संगठित और अनुशासित था। उनके शासन की कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं:

  1. केंद्रीकृत प्रशासन – उन्होंने पूरे भारत में एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था लागू की।
  2. चाणक्य द्वारा बनाए गए नीतिगत नियम – चाणक्य ने 'अर्थशास्त्र' नामक ग्रंथ लिखा, जो शासन और अर्थव्यवस्था पर आधारित था।
  3. सैन्य शक्ति – उनके पास एक विशाल सेना थी, जिसमें 6 लाख से अधिक सैनिक, घुड़सवार और हाथियों की टुकड़ियाँ थीं।
  4. सड़कें और व्यापार – उन्होंने पूरे साम्राज्य में सड़कों और व्यापारिक मार्गों का निर्माण करवाया, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत हुई।


जैन धर्म की ओर रुझान और संन्यास

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, चंद्रगुप्त मौर्य ने राजपाट छोड़कर जैन धर्म अपना लिया। वे अपने गुरु भद्रबाहु स्वामी के साथ दक्षिण भारत चले गए और कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में सल्लेखना (संयमपूर्वक उपवास करके मृत्यु) ग्रहण की।



निष्कर्ष

चंद्रगुप्त मौर्य भारत के पहले महान सम्राट थे, जिन्होंने पूरे उत्तर भारत को एकजुट कर एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की। उनकी वीरता, चाणक्य की नीतियाँ और उनकी दूरदृष्टि के कारण भारत में एक सुनहरे युग की शुरुआत हुई।

"चंद्रगुप्त मौर्य – साधारण परिवार से भारत के प्रथम सम्राट बनने की अद्भुत गाथा!"

Post a Comment

0 Comments