रमजान: इबादत, सब्र और रहमत का महीना

रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह सिर्फ उपवास (रोज़ा) रखने का महीना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और अल्लाह की रहमत पाने का समय होता है। इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं, कुरआन की तिलावत करते हैं, दुआएं मांगते हैं और नेकी के कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

रोज़ा: केवल भूखा रहना नहीं

रमजान में रोज़ा रखना इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है। सुबह सहरी करने के बाद पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रोज़ा रखा जाता है और शाम को इफ्तार के समय इसे खोला जाता है। लेकिन रोज़ा सिर्फ भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं, बल्कि अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखने की एक प्रक्रिया है। इसमें झूठ, गुस्सा, लालच और बुरी आदतों से बचने की सीख दी जाती है।

इबादत और नेकियाँ

रमजान में इबादत का विशेष महत्व है। इस दौरान लोग ज्यादा से ज्यादा नमाज पढ़ते हैं, कुरआन शरीफ की तिलावत करते हैं और रात में तरावीह की नमाज अदा की जाती है। यह महीना गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने, दान-दक्षिणा (जकात और फितरा) देने और सामाजिक भलाई के काम करने का होता है।

शब-ए-क़द्र: सबसे पाक रात

रमजान के आखिरी दस दिनों में आने वाली शब-ए-क़द्र को हज़ार रातों से बेहतर माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी रात में कुरआन शरीफ नाज़िल हुआ था। इस रात में की गई इबादत का कई गुना ज्यादा सवाब मिलता है और अल्लाह से मांगी गई दुआएं कबूल होती हैं।

रमजान का पैगाम

रमजान हमें धैर्य, सहनशीलता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। यह आत्मसंयम और नेकी की राह पर चलने का समय है। जब इंसान अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखता है और दूसरों की तकलीफों को समझता है, तब वह सच्चे मायनों में रमजान के मकसद को पूरा करता है।

इस पवित्र महीने में हम सबको कोशिश करनी चाहिए कि अपनी गलतियों से तौबा करें, जरूरतमंदों की मदद करें और अल्लाह की राह पर चलकर अपने जीवन को बेहतर बनाएं। रमजान सिर्फ एक महीना नहीं, बल्कि इंसानियत और ईमान की रौशनी से भरा पूरा एक सफर है।

"रमजान मुबारक!"

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