अंडालुस की विजय का पृष्ठभूमि
7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान इस्लामिक राज्य तेजी से फैल रहा था। उस समय उत्तरी अफ्रीका में मुस्लिम हुकूमत स्थापित हो चुकी थी और उमय्यद ख़िलाफ़त के अधीन थी। स्पेन पर उस समय विसिगोथ साम्राज्य का शासन था, लेकिन वहां के लोग राजा रोडरिक की नीतियों से असंतुष्ट थे।
उसी दौरान, उत्तरी अफ्रीका में मुसलमानों के गवर्नर मूसा बिन नुसैर को खबर मिली कि स्पेन में गृहयुद्ध जैसी स्थिति है और कुछ स्थानीय गवर्नर इस्लामी सत्ता से मदद मांग रहे हैं। यह सुनकर उन्होंने अपने एक प्रतिभाशाली सेनापति तारीक़ बिन ज़ियाद को एक सैनिक अभियान पर भेजने का फैसला किया।
जिब्राल्टर पर ऐतिहासिक लैंडिंग
सन् 711 में, तारीक़ बिन ज़ियाद लगभग 12,000 सैनिकों के साथ स्पेन के दक्षिणी तट पर उतरे। यह स्थान आज जिब्राल्टर (Gibraltar) कहलाता है, जिसका नाम अरबी में "जबल-उत-तारीक़" (तारीक़ का पहाड़) पड़ा।
ऐसा कहा जाता है कि जब वे समुद्र तट पर पहुंचे, तो उन्होंने अपनी सेना को प्रेरित करने के लिए जहाज जला दिए और कहा:
"पीछे समुद्र है और आगे दुश्मन की सेना। अब हमारे पास केवल एक ही रास्ता है—जंग लड़कर जीत हासिल करना!"
गुआदलेते का निर्णायक युद्ध
तारीक़ बिन ज़ियाद की सेना ने राजा रोडरिक की विशाल सेना से मुकाबला किया। यह युद्ध गुआदलेते (Battle of Guadalete) के नाम से प्रसिद्ध हुआ। विसिगोथ सेना संख्याबल में अधिक थी, लेकिन तारीक़ की रणनीति और मुस्लिम सैनिकों के जोश ने उन्हें हरा दिया। राजा रोडरिक युद्ध में मारा गया, और मुसलमानों ने स्पेन के महत्वपूर्ण शहरों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया।
अंडालुस में इस्लामी शासन की स्थापना
तारीक़ बिन ज़ियाद और मूसा बिन नुसैर की सेनाओं ने जल्द ही पूरे अंडालुस पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। यह क्षेत्र आने वाले 800 वर्षों तक मुस्लिम शासन के अधीन रहा और ज्ञान, विज्ञान, कला और सभ्यता का केंद्र बन गया।
निष्कर्ष
तारीक़ बिन ज़ियाद की विजय केवल एक सैनिक जीत नहीं थी, बल्कि इसने स्पेन में एक नई सभ्यता की नींव रखी। उन्होंने न केवल युद्ध में बहादुरी दिखाई, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और न्याय की नीति अपनाई, जिससे अंडालुस ने विज्ञान, कला और संस्कृति के क्षेत्र में महान ऊंचाइयों को छुआ।
आज भी जिब्राल्टर की चोटी और तारीक़ बिन ज़ियाद का नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अमर है।
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